आंध्र प्रदेश: विश्व बैंक ने अमरावती परियोजना से हाथ खींचा


world bank pulls out of amravati capital city project of andhra pradesh

  Deborah W. Campos, World Bank

विश्व बैंक ने आंध्र प्रदेश में अमरावती विकास परियोजना के निर्माण के लिए राज्य को 30 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की अपनी योजना को रद्द कर दिया है. दरअसल विश्व बैंक 30 करोड़ डॉलर देने पर विचार कर रहा था.

इसे लेकर आंध्र प्रदेश के सत्ताधारी दल वाईएसआर कांग्रेस और विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने एक -दूसरे पर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं.

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के लिए कार्य कर रहे समूह और अमरावती कैपिटल सिटी प्रोजेक्ट के प्रभावित समुदाय ने इस निर्णय का स्वागत किया है. बैंक ने यह निर्णय पिछले कई वर्षों से लोगों के आंदोलनों और नागरिक समाज संगठनों से प्राप्त जानकारी के बाद लिया है. इसके अलावा प्रभावित समुदायों ने जांच के लिए आए पैनल से शिकायत भी की थी.

नर्मदा बचाओ आंदोलन और नेशनल एलांयस फॉर पीपुल्स मूवमेंट की वरिष्ठ कार्यकर्ता मेधा पाटकर कहती हैं, “हमें खुशी है कि विश्व बैंक ने अमरावती कैपिटल प्रोजेक्ट में हो रहे व्यापक उल्लंघनों पर संज्ञान लिया है. यह न सिर्फ लोगों की आजीविका के लिए खतरनाक है बल्कि इससे वातावरण को भी खतरा है. नर्मदा और टाटा मुद्रा के बाद विश्व बैंक समूह के खिलाफ यह तीसरी बड़ी जीत है. हमें खुशी है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन के समय बनाए गए जांच पैनल ने यहां अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जब हम राज्य के आतंक के खिलाफ लड़ने वाले लोगों की सफलता की खुशी मना रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ हम इस मौके पर सरकार और वित्तीय संस्थानों को लोगों की सहमति के बिना अपने एजेंडे न थोपने की चेतावनी देते हैं.”

साल 2014 में जब से अमरावती कैपिटल सिटी प्रोजेक्ट की संकल्पना की गई थी तभी से पर्यावरण विशेषज्ञ, नागरिक समाज संगठनों और आंदोलनकर्ताओं ने सामाजिक और पर्यावरणीय कानूनों के गंभीर उल्लंघन, वित्तीय अस्थिरता, उपजाऊ भूमि की बड़े पैमाने पर कब्जे पर नाराजगी व्यक्त करते रहे.

किसानों ने अपनी शिकायत में कहा था कि पूर्ववर्ती चंद्रबाबू नायडू सरकार ने राजधानी के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण (लैंड पूलिंग) के नाम पर जबरन उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया है.

राजधानी क्षेत्र किसान महासंघ के मलेला शेषगिरी राव ने कहा “हमारी जमीन और आजीवन को लेकर जो अनिश्चित्ता बनी हुई है, उसने भय से हमारी रातों की नींद हराम कर दी थी. इस संघर्ष को हम कभी नहीं भूल सकते. हमें उम्मीद है कि विश्व बैंक के इस फैसले से सभी को बड़ा संदेश मिलेगा. साथ ही राज्य और अन्य फाइनेंसरों द्वारा इसे सुना जाएगा और यह ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ रहने वाले लोगों की चिंताओं को दूर करेगा.”

इस पूरी परियोजना की लागत 71.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी, जिसमें से वर्ल्ड बैंक 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर फंड देने वाला था.


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