अतीत और वर्तमान के आईने में भारत-पाक टीमें
भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर हमेशा रोमांच बना रहा है. ये तब और बढ़ जाता है, जब मैच विश्व कप के दौरान हो रहा हो. इस विश्व कप में 16 जून यानी रविवार को दोनों टीमें आमने-सामने होंगी.
इस मैच में पाकिस्तान की नजर उस अनचाहे रिकॉर्ड पर होगी, जिसमें क्रिकेट की इस सबसे बड़ी प्रतियोगिता के दौरान वो अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक भी मैच जीतने में असफल रहा है. दूसरी ओर भारतीय टीम की दिलचस्पी इस रिकॉर्ड को बरकरार रखने में होगी.
अगर इस विश्व कप में दोनों टीमों के अब तक के प्रदर्शन की बात करें तो पाकिस्तान की शुरुआत किसी बुरे सपने से कम नहीं रही है. वो अपने पहले ही मैच में वेस्ट इंडीज के सामने 105 रन पर सिमट गई थी.
लेकिन इसके बाद उसने जोरदार वापसी की और कप की दावेदार मानी जा रही इंग्लैंड की टीम को धूल चटा दी. लेकिन अगले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के हाथों फिर हार गई.
इससे पहले भी पाकिस्तान का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है. फिलहाल चार मैच खेलने के बाद टीम आठवें स्थान पर है. और भारत से भिड़ने के लिए कमर कस चुकी है.
पाकिस्तान का भारत के साथ मैच इस कदर महत्वपूर्ण माना जाता है कि अगर वो भारत के साथ होने वाला मैच जीत ले तो ट्रॉफी ना जीतने पर भी देश में उसका स्वागत विजेता की तरह होगा.
विश्व कप में दोनों देशों के बीच अब तक कुल छह मैच हुए हैं. जिनमें से सभी मैच भारतीय टीम ने जीते हैं. अगर इस रिकॉर्ड को भूल भी जाएं तो भी पाकिस्तान का काम आसान नहीं होगा. फिलहाल आज के दौर में दोनों टीमों में काफी अंतर है.
भारतीय क्रिकेट टीम इस विश्व कप की सबसे मजबूत टीमों में से एक है. और ट्रॉफी की प्रबल दावेदार मानी जाती है. उसने पिछले दोनों मुकाबले मजबूत टीमों के खिलाफ खेले हैं और जीत दर्ज करने में सफल रही है. दूसरी ओर पाकिस्तान की टीम प्रतिभाशाली होते हुए भी अपेक्षाकृत प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो सकी है.
अगर इतिहास में जाएं और पूरे वनडे क्रिकेट की बात करें तो निश्चित तौर पर पाकिस्तान की टीम भारत पर बीस रही है. शुरुआती दौर में पाकिस्तान की टीम ने कई महत्वपूर्ण मुकाबलों में भारत को हार का मुंह दिखाया है.
साल 1978 और 1997 के बीच दोनों टीमों के बीच 52 एकदिवसीय मैच खेले गए हैं, और पाकिस्तान उनमें से 33 मैच जीतने में सफल रहा है. ये वो दौर था जब पाकिस्तान की टीम में इमरान खान, मियांदाद, वसीम अकरम, अब्दुल कादिर, रमीज राजा जैसे खिलाड़ी थे.
इसके बाद पाकिस्तान की टीम में इनकी विरासत को संभालने के लिए नई पौध तैयार हो गई. इसकी अगुआई इंजमाम, वकास यूनुस, सईद अनवर और मोइन खान ने की.
हालांकि 90 के दशक के अंत में कहानी बदलने लगी, ये वह वक्त था जब भारतीय टीम में नए सितारों का उदय हो रहा था. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल दव्रिड़, वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ियों ने अतीत के बोझ को उतार फेंका और पाकिस्तानी टीम को कड़ी टक्कर दी.
दूसरी ओर इस दौरान भारतीय क्रिकेट व्यापारिक नजरिये से भी लगातार बड़ा होता गया, जबकि पाकिस्तान लगातार पिछड़ता रहा.
इसके बाद धोनी और युवराज जैसे खिलाड़ियों ने भारत को महत्वपूर्ण मुकाबलों में जीत दर्ज करने का विश्वास दिलाया. इस बीच टीम उन मुकाबलों को जीतने लगी जिन्हें वो अंत में बहुत कम अंतर से हार जाया करती थी.
आज के दौर की भारतीय टीम की अगुआई विराट कोहली जैसे खिलाड़ी कर रहे हैं. जो भारतीय क्रिकेट को लगातार नई ऊंचाईयों पर ले जा रहे हैं.
अगर भारतीय गेंदबाजी पक्ष पर नजर डालें तो तेज गेंदबाजी हमेशा भारतीय टीम की कमी रही है. जिस दौर में पाकिस्तान के पास विश्व स्तरीय तेज आक्रमण था, भारत अच्छे तेज गेंदबाजों के लिए जूझ रहा था. लेकिन आज के दौर में भारतीय टीम में बुमराह, भुवनेश्वर और शमी जैसे गेंदबाजों ने पुरानी स्थिति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है.
अगर बीते कुछ सालों के रिकॉड पर नजर डालें तो ये बात साफ नजर आती है. साल 2006 से अब तक दोनों देशों के बीच अब तक 30 एकदिवसीय मैच हो चुके हैं.
इस दौरान भारत ने 63.33 के औसत से 19 मैच जीते हैं. लेकिन कुल मैचों में पाकिस्तान अब भी बेहतर है. दोनों देशों के बीच अब तक कुल 131 मैच खेले गए हैं. पाकिस्तान इनमें से 73 मैच में जीतने में सफल रहा है.