श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटाए गए पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा


 yashwant sinha asked to leave srinagar airport he refuses

 

श्रीनगर एयरपोर्ट पर उस वक्त हंगामा मच गया जब पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने एयरपोर्ट से वापस जाने से इनकार कर दिया. वह सुबह साढ़े 11 बजे श्रीनगर पहुंचे लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं दिया गया.

यशवंत सिन्हा कंसर्न सिटीजन ग्रुप एनजीओ के द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए श्रीनगर पहुंचे थे. उनके साथ कपिल काक, भारत भूषण और सुशोभा बरनाद भी थे.

सूत्रों ने बताया कि यशवंत सिन्हा अपने साथियों के साथ सुबह 11.30 बजे एयरपोर्ट पर पहुंच गए थे लेकिन उन्हें वहां से बाहर आने नहीं दिया गया.

ये लोग कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में जाकर जमीनी हकीकत जानना चाहते थे लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें रोक दिया.

यशवंत सिन्हा से वापस दिल्ली की फ्लाइट लेने को कहा गया जिसके बाद उन्होंने जाने से मना कर दिया.

वहीं, इस मामले में बडगाम जिला अधिकारी ने एक ऑर्डर जारी कर अपनी सफाई दी है. जारी बयान में कहा गया है कि विभिन्न एजेंसियों के विश्वसनीय इनपुट से उन्हें जानकारी मिली कि यशवंत सिन्हा के कश्मीर आने से जिले में कानून और व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा जो अभी तक शांत बना हुआ है. यह मुमकिन है कि अगर उन्हें यहां से आगे जाने दिया गया तो कश्मीर की सार्वजनिक शांति पर इसका प्रभाव पड़ेगा. इसलिए मैं उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दे सकता.

बडगाम पुलिस अधीक्षक का कहना है कि “श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रात में ठहरने की कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है जिस कारण आपको वापस जाना पड़ेगा. इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप जल्द से जल्द दिल्ली के लिए प्रस्थान करें. बडगाम का जिला प्रशासन आपके जाने की व्यवस्था कर देगा.”

इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं को भी श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस दिल्ली भेज दिया गया था. लौटाए जाने वाले नेताओं में राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, केसी वेणुगोपाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके नेता तिरुची शिवा, शरद यादव, टीएमसी के नेता दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी नेता माजिद मेमन और सीपीआई महासचिव डी राजा शामिल थे.

एयरपोर्ट से लौटाए जाने के बाद सभी नेताओं ने बडगाम जिला अधिकारी को पत्र लिखकर हिरासत में लिए जाने को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया था.


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