डूबते जी समूह के ‘कैप्टन’ छोड़ रहे उसका साथ


zee promoters selling their stock in open market

 

टीवी जगत का बड़ा नाम जी एंटरटेनमेंट काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. सुभाष चंद्रा की अगुआई वाले इस समूह के शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. बीती 13 फरवरी को इसमें 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

इससे पहले एक कार्य दिवस में इसके शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की जा चुकी है. 31 फीसदी की यह गिरावट 1999 के बाद किसी कंपनी शेयरों में एक दिन में हुई सबसे बड़ी गिरावट थी.

इस बार हुई बड़ी गिरावट का कारण इसके एक प्रमोटर का खुले मार्केट में शेयरों का बेचा जाना बताया जा रहा है. 13 फरवरी को कंपनी के 8.3 लाख शेयर खुले मार्केट में बेचे गए.

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक जी के एक प्रमोटर ने 8.3 लाख शेयर जो कि समूचे शेयरों का 0.09 फीसदी होता है, खुले मार्केट में बेच दिया. बीते महीने से ही ग्रुप को लगातार गिरते भाव का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह की एकतरफा गिरावट की वजह से शेयर धारकों में निराशा फैली हुई है.

शेयर धारकों को ग्रुप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी डर है, जिसके चलते भी शेयर धारकों में हताशा का माहौल है. हालांकि एक निवेशक सम्मेलन में प्रबंधन की तरफ से कहा जा चुका है कि कंपनी के खिलाफ किसी तरह के फ्रॉड की जांच होने की कोई संभावना नहीं है.

देश की ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनी शेयरखान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कंपनी के प्रमोटर देनदारी चुकाने के लिए खुले बाजार में बिक्री का विकल्प चुन सकते हैं.

शेयरखान के मुताबिक, “इससे पहले कंपनी प्रबंधन की ओर से कहा चुका है कि देनदारों से उनका समझौता हो चुका है. इसके तहत सितंबर 2019 तक शेयर नहीं बेचे जाएंगे. उस समय रणनीतिक तौर पर शेयर बिक्री के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी. हमने निवेशकों को सलाह दी है कि गिरी हुई कीमतों पर शेयर ना खरीदें और स्थिति साफ होने का इंतजार करें.”

ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट उस रिपोर्ट के बाद से शुरू हुई, जिसमें कंपनी पर सीरीयस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस ( एसएफआईओ) जांच की संभावना वाली बात सामने आई थी.

दरअसल, एसएफआईओ नित्यांक इंफ्रापावर नाम की कंपनी की जांच कर रहा है. इस कंपनी ने 8 नवंबर 2016 को घोषित नोटबंदी के तुरंत बाद तीन हजार करोड़ रुपये की बड़ी राशि जमा कराई थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सुभाष चंद्रा की अगुआई वाली कुछ वित्तीय कंपनियां भी इसमें शामिल थी.

इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि नित्यांक ने वीडियोकॉन और एस्सेल के बीच हुए समझौते में बड़ी भूमिका निभाई थी.

इस समूह के बाजार पूंजीकरण में 14 हजार करोड़ से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. समूह पर करीब 12 हजार करोड़ रुपये की उधारी भी है.


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