बुलंदशहर हिंसा साजिश का हिस्सा : पुलिस महानिदेशक


conspiracy in bulandshahr violence

 

बुलंदशहर में हुई हिंसा पुलिस को किसी की शरारत नहीं बल्कि जानबूझकर बाबरी मस्जिद कांड की बरसी से पहले सामाजिक सौहार्द खराब करने की कोशिश लग रही है. घटना की जांच के दौरान पुलिस इस बात पर खासा तवज्जो दे रही है कि आखिर गौकशी के लिए यह तारीख क्यों और किसने चुनी?

पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा है, ‘‘मैं इसे सिर्फ कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं मानता. यह किसी साजिश का हिस्सा था और हम इसकी जांच कर रहे हैं. हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर गौकशी कर उसके हिस्से खेतों में फेंकने के लिए तीन दिसंबर की तारीख क्यों चुनी गई.’’

उन्होंने बताया कि इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की गई है, एक गौकशी की और दूसरी उसके बाद हुई हिंसा की. दोनों मामलों की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि दोनों प्राथमिकियों में नामजद लोगों की पहचान जाहिर नहीं की जा रही है.

ओपी सिंह ने कहा, ‘‘हमने विशेष कार्य बल (एसटीएफ) से कहा है कि वह पता करे कि इस घटना और उसके षड्यंत्र के पीछे किसका हाथ है. हम सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं. इसमें गौकशी की जगह और वक्त दोनों शामिल हैं.”

घटनास्थल से 40 किलोमीटर दूर मुसलमानों का तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तिमा चल रहा था जिसमें लाखों की संख्या में दूर दराज से आए मुसलमान शामिल थे.

तीन दिसम्बर को बुलंदशहर में कथित तौर पर गोकशी के बाद मचे बवाल में गुस्साई भीड़ ने स्याना थाने के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी. वहीं गोली लगने से एक युवक की मौत भी हो गई थी.

बुलंदशहर में हुई इस हिंसक वारदात में पांच पुलिस कर्मी और करीब आधा दर्जन आम लोगों को भी मामूली चोटें आई हैं. भीड़ की हिंसा में कई गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है और तीन कारों को आग लगा दी गई. बताया जा रहा है कि इस हिंसा में तीन गांव के करीब चार सौ लोग शामिल थे.


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