गैरकानूनी खदान होने की वजह से बचाव कार्य में बाधा : केंद्र सरकार
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि मेघालय में 13 दिसंबर से एक गैरकानूनी कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों के बचाव कार्य में परेशानियां आ रही हैं क्योंकि 355 फीट गहरी खदान का कोई खाका मौजूद नहीं है.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह गैरकानूनी खदान एक नदी के किनारे स्थित है. इससे हो रहा पानी का रिसाव बचाव अभियान में बाधा पैदा कर रहा है.
पीठ ने यह टिप्पणी की है कि खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए शुरू में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए.
पीठ ने केन्द्र और दूसरे प्राधिकारों को सात जनवरी को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जिसमें बचाव के लिए उठाए गए कदमों और प्रगति की जानकारी देनी होगी.
कोर्ट ने यह सब इन मजदूरों को बचाने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा.
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केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मेघालय की खदान में फंसे इन मजदूरों के बचाव के लिए तेजी से उठाए जा रहे कदमों के बारे में पीठ को अवगत कराया है.
उन्होंने कहा कि चूंकि यह खदान गैरकानूनी थी. इसका कोई खाका उपलब्ध नहीं है. इस वजह से बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं. यह ‘चूहे के बिलों की भूलभुलैया’ जैसी बनी हुई है और कोई नहीं जानता कि यह कहां जा रहा है.
मेहता ने कहा कि 355 फुट का कुंआ जमीन के अंदर 20 मंजिला इमारत की तरह है.
मेघालय के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित रैट होल खदान में पास की लितेन नदी का पानी भर गया था जिसके बाद खदान में काम कर रहे 15 मजदूर अंदर ही फंस गए थे. रैट होल खदान में संकरी सुरंगे खोदी जाती हैं जिसके भीतर मजदूर जाते हैं और कोयला निकाल कर लाते हैं.
मेहता ने कहा कि पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में अनेक खदान हैं और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), गोताखोर और श्वान स्कैड घटना के तुरंत बाद ही मौके पर पहुंच गया था.
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थाईलैंड में पिछले साल जून-जुलाई में एक गुफा के भीतर फुटबाल टीम के फंसने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस गुफा का नक्शा उपलब्ध था. इसमें हवा आने जाने की व्यवस्था थी जिससे ऑक्सीजन जा रही थी.
उन्होंने कहा कि खदान में कीचड़ है और गोताखोर एक सीमा से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. इसलिए अब नौसेना के विशेषज्ञ गोताखोरों को बुलाया गया है.
मेहता ने कहा कि उच्च क्षमता वाले पंपों की मदद से खदान से पानी बाहर निकाला जा रहा है. लेकिन नदी से हो रहे जल रिसाव की वजह से उन्हें अपेक्षित नतीजे नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के उच्च शक्ति वाले पंप लगाए जा चुके हैं परंतु नदी से आ रहे पानी की वजह से खदान में जल का स्तर कम नहीं हो रहा है.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने इस खदान में फंसे 15 खनिकों को बचाने के काम पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा था कि उन्हें बचाने के लिए “शीघ्र, तत्काल एवं प्रभावी’’ अभियान चलाने की जरूरत है. क्योंकि यह जिंदगी और मौत का सवाल है. लगभग तीन हफ्ते से खदान फंसे लोगों के लिए “हर एक मिनट कीमती” है.