कृषि विभाग ने माना, नोटबंदी का किसानों पर हुआ बुरा प्रभाव


PUCL presented charge sheet against central govt

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कृषि मंत्रालय ने कहा है कि नोटबंदी के कारण लाखों किसान रबी की फसलों के लिए बीज और उर्वरक नहीं खरीद पाए. संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कृषि विभाग ने माना है कि नोटबंदी का किसानों पर बुरा प्रभाव पड़ा.

कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बनी संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति को विभिन्न मंत्रालयों ने नोटबंदी के प्रभावों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है.

कैश की कमी

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि मंत्रालय द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में सामने आया है कि नोटबंदी ऐसे समय में की गई जब किसान खरीफ की फसलें बेच रहे थे और रबी की फसलें लगाई जा रही थी. जिस समय किसानों को फसल बेचने और नई फसल लगाने के लिए कैश की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है, उस समय बाजार से कैश पूरी तरह गायब हो गया.

रिपोर्ट मे कहा गया है, “भारत के 26 करोड़ 30 लाख किसान कैश का इस्तेमाल करते हैं.” नोटबंदी के समय उनके पास बीज और उर्वरक खरीदने के लिए कैश की कमी हो गई.

नोटबंदी से बड़े किसान और जमींदार भी प्रभावित हुए. उनके पास किसान मजदूरों को देने के लिए कैश की कमी हो गई. वह नई फसल लगाने के लिए खेती-किसानी के सामान भी नहीं खरीद पाए.

राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) ने कहा है कि वह नोटबंदी के बाद गेहूँ के एक लाख 38 हजार क्विंटल बीज नहीं बेच पाया था. यह हाल तब था जब सरकार ने किसानों को बीज खरीदने के लिए बंद हुए 500 और 1000 के नोट इस्तेमाल करने दिए थे.

इन रिपोर्ट्स के आधार पर विपक्षी पार्टियां सरकार से गंभीर सवाल पूछ रही हैं. खेती किसानी का संकट तीन राज्यों में प्रमुख हैं, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़. इन तीनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.


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