अशोक खेमका पर ‘प्रतिकूल टिप्पणी’ को हटाएं: हाई कोर्ट
PTI
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट 2016-17 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा की गई ‘प्रतिकूल टिप्पणियों’ को हटाने का आदेश दिया है.
अदालत ने कहा कि खेमका की “ईमानदारी संदेह से परे है” और “इस तरह की पेशेवर ईमानदारी रखने वाले व्यक्ति की सत्यनिष्ठा की रक्षा की जानी चाहिए.”
खेमका ने अपने वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में खट्टर द्वारा की गई ‘प्रतिकूल टिप्पणी’ को हटाने के लिए जनवरी 2019 में अदालत का रुख किया था.
जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने उनकी इस याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया था.
इससे पहले उन्होंने हरियाणा और केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी(बीजेपी) पर नाराजगी जाहिर करते हुए ट्वीट किया था, “सत्तारूढ़ पार्टियां हमेशा जांच एजेंसियों को नियंत्रित करने का प्रयास करती हैं. क्या पुलिस या सीबीआई को स्वतंत्रता देना बेहतर विकल्प है? क्या यह पतित लोगों को विचारशील बनाने को प्रेरित करेगा? दानव को खुले छोड़ना खतरनाक होता है.”
हरियाणा सरकार ने 1991 बैच के अधिकारी अशोक खेमका ने भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर पर ट्वीट किया था. वे हरियाणा सरकार की नीतियों पर सवाल भी उठा चुके हैं.
राबर्ट वाड्रा के जमीन सौदे मामले में खेमका चर्चा में आए थे. तब बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था. लेकिन एक बार फिर बीजेपी के शासनकाल में ही अशोक खेमका का स्थानांतरण हुआ. तीन मार्च को अशोक खेमका समेत नौ आईएएस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण करने के आदेश जारी किए गए थे. 24 साल के सेवाकाल में यह उनका 52वां तबादला था. उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया था. इससे पहले वह युवा मामले विभाग में थे. 15 महीने पहले ही उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से यहां लाया गया था.