नीरव मोदी के भागने से पहले आईटी को थी घोटाले की खबर
PTI
पीएनबी घोटाले में बड़ा खुलासा सामने आया है. नीरव मोदी के देश छोड़ने से आठ महीने पहले ही उनके संदिग्ध लेन-देन की खबर आयकर विभाग को हो गई थी. मोदी के जाली लेन-देन, शेयरों का बढ़ा-चढ़ाकर मूल्यांकन, रिश्तेदारों को संदिग्ध भुगतान, संदिग्ध परिस्थितियों में लिए गए लोन की जानकारी आयकर विभाग को जून, 2017 में ही हो गई थी.
फरवरी 2018 में वित्तीय अनिमितता के आरोप लगने के बाद नीरव मोदी देश छोड़कर भाग गए थे.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के लेन-देन और लोन के बारे में आयकर की रिपोर्ट 8 जून, 2017 को तैयार कर ली गई थी. दस हजार पन्नों की इस रिपोर्ट को दूसरी जांच एजेंसियों, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के साथ शेयर नहीं किया गया था, जब तक यह घोटाल फरवरी 2018 में सार्वजनिक नहीं हो गया.
आयकर विभाग ने यह रिपोर्ट फरवरी, 2018 से पहले क्षेत्रीय आर्थिक खुफिया विभाग (आरईआईसी) के साथ भी साझा नहीं की थी. यह संस्था दूसरी सरकारी एंजेंसियों के साथ इस तरह की जानकारी साझा करने के लिए जिम्मेदार होती है.
नीरव मोदी ने मेहुल चोकसी के साथ तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टेलर डायमंड के पार्टनरशिप में पीएनबी घोटाले को अंजाम दिया था. इन सभी पर धोखाधड़ी से पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के जरिए 13,500 करोड़ के लेन-देन का आरोप है.
आयकर विभाग ने जनवरी, 2017 में मोदी और उसके करीबी रिश्तेदार चोकसी के मालिकाना हक वाली कंपनियों का सर्वे किया था. इस सर्वे में करीब 45 स्थानीय और वाणिज्यिक कंपनियों की जांच की गई थी.
वरिष्ठ टैक्स अधिकारी ने बताया कि, “मोदी और चोकसी पर यह रिपोर्ट संबंधित एजेंसियों को इसलिए नहीं भेजी गई क्योंकि तब तक रिपोर्ट को दूसरी एजेंसियों के साथ शेयर करने का कोई नियम नहीं था.”
उन्होंने कहा कि, “घोटाला सामने आने के बाद यह रिपोर्ट फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) के साथ साझा की गई है. जुलाई-अगस्त के बाद से सभी सूचनाएं और जांच रिपोर्ट शेयर की जा रही हैं.”
मई-जुलाई, 2018 में मोदी और चोकसी के खिलाफ दायर की गई सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीज में इस रिपोर्ट का जिक्र है.