मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस ताहिलरमानी ने इस्तीफा देने की मंशा जाहिर की


madras High court chief justice tahilramani indicates intent to quit

 

मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस विजया के ताहिलरमानी ने अपना तबादला मेघालय हाई कोर्ट करने की सिफारिश के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की मंशा जाहिर की है.

न्यायाधीशों के रात्रिभोज के दौरान जस्टिस ताहिलरमानी ने कहा कि वह इस्तीफा देने जा रही हैं और वह सक्षम प्राधिकार को अपना त्यापत्र सौपेंगी.

जानकारी के मुताबिक दो दिन पहले पदोन्नत कर अतिरिक्त से स्थायी जस्टिस बनाए गए छह न्यायाधीशों ने जुडिशियल एकेडमी में रात्रिभोज का आयोजन किया था.

गौरतलब है कि उनका ये फैसला सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनका तबादला मेघालय हाई कोर्ट करने की सिफारिश के बाद आया है.

कॉलेजियम ने इस निर्णय पर फिर से विचार करने के चीफ जस्टिस ताहिलरमानी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है.

दरअसल, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 28 अगस्त को जस्टिस ताहिलरमानी को मेघालय हाई कोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी.

इसके बाद चीफ जस्टिस ताहिलरमानी ने उनके तबादले के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने के लिये कॉलेजियम को एक प्रतिवेदन दिया था.

जस्टिस ताहिलरमानी की पिछले साल आठ अगस्त को ही मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर पदोन्नति की गई थी.

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्रस्ताव के अनुसार कॉलेजियम ने तीन सितंबर को पारित प्रस्ताव में सभी संबंधित तथ्यों पर विचार के बाद उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.

बंबई हाई कोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस के पद पर काम करते हुए चीफ जस्टिस ताहिलरमानी ने मई, 2017 में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सभी 11 व्यक्तियों की दोषसिद्धि और उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने इस मामले को गुजरात की अदालत से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया था.

कॉलेजियम ने मेघालय हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल का तबादला मद्रास हाई कोर्ट करने की सिफारिश की है.

इसी तरह कॉलेजियम ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट और पंजाब एवं हरियाणा हाई के जस्टिस अमित रावल का तबादला केरल हाई कोर्ट करने की सिफारिश की है.

वहीं इस बीच मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस और अन्य कर्मचारी चीफ जस्टिस ताहिलरमानी के काम पर भरोसा जताते हुए उनके समर्थन में आ गए हैं.

एक सूत्र ने कहा, “वो अडिग रहीं और कभी नहीं झुंकी. लोग उनके दर्द को समझ सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने सच्चाई से काम किया और उन्हें संतुष्टि है कि उन्होंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया.”

इसके साथ ही मद्रास हाई कोर्ट के वकीलों ने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में ज्ञापन भेजा है. ज्ञापन पर वकील एनजीआर प्रसाद, जी मसीलामानी और आर वाईगाई समेत 100 वकीलों ने हस्ताक्षर किया हैं.

ज्ञापन में कहा गया है कि “उन्हें अब यहां से स्थांतरित कर अपेक्षाकृत छोटे कोर्ट मे भेजना एक सजा और अपमान से कम नहीं है. प्रशासनिक हितों का हवाला देकर इसे मान्य नहीं ठहराया जा सकता है. कितनी बड़ी विडम्बना है कि उनके जितने वरिष्ठ व्यक्ति को एक छोटे हाई कोर्ट में भेज दिया गया. स्थांतरित करने की प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए. पर अब लग रहा है कि जजों के स्थांतरण की प्रक्रिया में किसी नियम का पालन नहीं हो रहा है.”

उन्होंने कॉलेजियम से अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है.


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