केंद्र सरकार ने जीडीपी आंकड़ों में किया बड़ा फेरबदल
केंद्र सरकार ने बुधवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दस साल के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया है. इससे संप्रग सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक फ़ीसदी से अधिक कमी आई है जब देश ने दो अंको की वृद्धि दर दर्ज की थी. इसके अलावा 9 फ़ीसदी से अधिक की वृद्धि दर वाले तीन वर्षों के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत की कमी आई है.
सरकार ने आंकड़ों को 2004- 05 के आधार वर्ष के बजाए 2011- 12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है. इस वजह से आंकड़ों में परिवर्तन हुआ है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने ताजा आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 फ़ीसदी रही थी. जबकि इसके पहले 10.3 फ़ीसदीवृद्धि का अनुमान लगाया गया था.
इसी तरह 2005-06 और 2006-07 के 9.3- 9.3 फ़ीसदी की वृद्धि दर के आंकड़ों को घटाकर क्रमश: 7.9 और 8.1 फ़ीसदी किया गया है. इसी तरह 2007-08 के 9.8 फ़ीसदी के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 7.7 प्रतिशत किया गया है. संशोधित वृद्धि दर के आंकड़े 2019 के आम चुनाव से पहले जारी किए गए हैं. इस वजह से इसके पीछे राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया. इसमें उन्होंने कहा कि आंकड़ों के दो सेट में अंतर अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों मसलन खनन, उत्खनन और दूरसंचार क्षेत्र के आंकड़ों के हिसाब से नये सिरे से सुधार करने की वजह से आया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या यह संयोग है कि सिर्फ संप्रग के कार्यकाल के जीडीपी आंकड़ों में संशोधन किया गया है, कुमार ने यह संयोग नहीं है. यह सीएसओ अधिकारियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत का नतीजा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जो तरीका अपनाया गया है उसे प्रमुख सांख्यिकीविदों ने जांचा है. कुमार ने कहा कि सरकार का इरादा गुमराह करने या जानबूझकर कुछ करने का नहीं है.