विधानसभा में रखा जाएगा मराठा आरक्षण विधेयक
मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित विधेयक 29 नवंबर महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा.
विधेयक के साथ ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) की मराठा आरक्षण से जुड़ी अनुशंसाओं पर उठाए गए कदमों के बारे में दो पन्नों की कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) को भी रखा जाएगा.
इस मुद्दे पर राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता वाली राज्य मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक 28 नवंबर को हुई.
पाटिल ने विधानसभा परिषद में कहा था कि विधेयक को पारित कराने के लिए जरूरत पड़ने पर राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है.
वर्तमान कार्यक्रम के मुताबिक 19 नवंबर को मुंबई में शुरू हुआ शीतकालीन सत्र 30 नवंबर को समाप्त होगा.
मराठा समुदाय राज्य में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है.
इस साल जुलाई-अगस्त में हुए मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लोगों पर गोलीबारी की थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.इस पर विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब में महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री राज कुमार बडोले ने कहा था कि, “पुलिस ने उन जगहों पर कानून के अनुसार कार्रवाई की, जहां जुलाई-अगस्त 2018 में मराठा आरक्षण के लिए किया गया आंदोलन हिंसा में बदल गया था.”
विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया था कि इस वर्ष नौ अगस्त को बुलाए बंद के दौरान पुलिस ने मासूम लोगों के खिलाफ झूठे मामले भी दर्ज किए.
मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने पर महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) का कहना है कि मराठा समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने से पहले 43,629 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी , जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरक्षण की मांग पूरी करने का संकेत भी दिया था.
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा समुदाय के लोग सरकार और अर्द्ध सरकारी सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व के साथ ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक’ हैं.