गुजरात में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में बंटा महज 35 फीसदी कर्ज


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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत गुजरात में सूक्ष्म और लघु उपक्रमों को वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक निर्धारित लक्ष्य का केवल 35 फीसदी कर्ज ही वितरित किया जा सका है. यह जानकारी हाल में जारी हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट में सामने आई है.

रिपोर्ट से पता चलता है कि मुद्रा योजना के तहत वितरित किए गए कर्जों की वसूली बहुत मुश्किल साबित हो रही है, जिसके कारण बैंक कर्ज वितरण का अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे. स्थिति ये है कि मुद्रा योजना में नॉन-परफार्मिंग एसेट्स का आंकड़ा 10 फीसदी हो चुका है. यह आंकड़ा गुजरात में सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के कुल एनपीए 7.4 फीसदी से भी ज्यादा है.

वित्त वर्ष 2018-2019 में मुद्रा योजना के तहत बैंकों के सामने लगभग 8,000 करोड़ रुपए कर्ज वितरित करने का लक्ष्य था, लेकिन बीते 16 नवम्बर तक बैंक केवल 2,800 करोड़ रुपए यानि कुल लक्ष्य का 35 फीसदी कर्ज ही वितरित कर सके हैं. वहीं, पिछले वित्त वर्ष में इस समय तक निर्धारित लक्ष्य का 45 फीसदी कर्ज वितरित किया जा चुका था. इतना ही नहीं, साल खत्म होते-होते गुजरात में बैंकों ने कुल निर्धारित कर्ज का 93 प्रतिशत तक वितरित कर दिया था.

मुद्रा योजना में तीन श्रेणियों, शिशु (50,000 रुपए ), किशोर (50,000 से 5 लाख) और तरुण (10 लाख) के तहत कर्ज दिए जाने का प्रावधान है. रिपोर्ट बताती है कि बैंकों को शिशु श्रेणी (50,000 रुपए) में दिए गए कर्ज वसूलने में सबसे ज्यादा मुश्किल आ रही है.

वित्त वर्ष 2018-19 में आईसीआईआई बैंक के सामने मुद्रा योजना के तहत कर्ज वितरित करने का सबसे बड़ा लक्ष्य है. बैंक को इस वर्ष लगभग 1400 करोड़ रुपए वितरित करने थे और वह अब तक इस लक्ष्य का 34 फीसदी ही पूरा कर सका है. वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने कुल निर्धारित लक्ष्य 1,260 करोड़ का 28 फीसदी ही वितरित कर पाया है.

आश्चर्यजनक ये भी है कि कर्ज वितरण के मामले में कुछ निजी बैंक अपना निर्धारित लक्ष्य से बहुत आसानी से पूरा कर चुके हैं जबकि सार्वजनिक बैंक अपने निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं. रिपोर्ट से पता चलता है कि कोटक महिंद्रा बैंक इस वित्त वर्ष में अपना निर्धारित कर्ज वितरण पूरा कर चुका है जबकि देना बैंक अपने लक्ष्य 385 करोड़ का महज तीन प्रतिशत वितरित कर सका है.


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