पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां खालिस्तान समर्थन के लिए कर रही हैं सिख तीर्थ यात्रियों का इस्तेमाल


pakistan to misuse sikh pilgrims in spying and referendum for khalistan

 

भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे को शुरु करने के प्रयास हो रहे हैं. आगामी 14 जुलाई को इस बारे में दोनों देश बातचीत करने वाले हैं. इस बीच सिख तीर्थ यात्रियों को जासूसी के लिए भर्ती करने और खालिस्तान के समर्थन में चलाए जाने वाले अभियान, ‘रेफरेंडम 2020’ के लिए इस्तेमाल किए जाना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है.

बीती 28 जून को फरीकोट पुलिस ने 24 वर्षीय सुखविंदर सिंह सिद्धू को गिरफ्तार किया. सुखविंदर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए फरवरी 2016 से काम करने का आरोप है.

सुखविंदर पर आरोप है कि वे अपने पाकिस्तानी आकाओं के आदेश पर सेना के मोगा सैन्य छावनी के पास रहकर सेना की गतिविधियों की जासूसी कर रहे थे. साथ ही उन पर कथित रेफरेंडम के लिए अभियान चलाने का भी आरोप हैं. खबरों के मुताबिक सुखविंदर इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे.

हिंदुस्तान टाइम्स ने सुखविंदर के साथ पूछताछ के आधार पर तैयार रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने सुखविंदर की भर्ती उस समय की जब वे एक जत्थे के साथ पाकिस्तान गए थे. ये भारतीय जत्था पाकिस्तान स्थित सिख धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए 2015 में गया था.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत से पाकिस्तान जाने वाले सिख श्रद्धालुओं का पाकिस्तान बुरी तरह से गलत प्रयोग कर रहा है. ये श्रद्धालु दोनों देशों के बीच 1974 में हुई द्विपक्षीय संधि के तहत पाकिस्तान जाते हैं. इनके जत्थे साल में चार बार पाकिस्तान में स्थित सिख पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं.

एक शीर्ष भारतीय राजनयिक कहते हैं, “हम पाकिस्तान के सामने इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं. इसके लिए ना सिर्फ भारतीय सिख जत्थों का गलत इस्तेमाल हो रहा है बल्कि कनाडा, यूके और जर्मनी से पाकिस्तान आने वाले जत्थों को रेफरेंडम के लिए तैयार करने की कोशिश पाकिस्तान द्वारा हो रही है.”

सुखविंदर का पकड़ा जाना इस तरह का एकमात्र मामला नहीं है, पहले भी इस तरह की कई गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं. इससे पहले 2013 में तलविंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया था. सुखप्रीत कौर और सूरज पाल सिंह को 2012 में और नईब सिंह और भोला सिंह को 2009 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इन गिरफ्तार लोगों के साथ हुई पूछताछ के रिकॉर्ड से साफ होता है. इनमें से सभी की भर्ती पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने की थी. इनकी भर्ती करगिल युद्ध के करीब दो से तीन साल बाद के समय में की गई थी. साल 2004 के बाद से सिख जत्थे 10 दिन के लिए हर साल पाकिस्तान जा रहे हैं.

हालांकि करतारपुर गलियारे के खुलने के बाद बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पाकिस्तान जाएंगे. लेकिन इस दौरान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की उन तक पहुंच मुश्किल होगी, क्योंकि इन यात्रियों की वापसी उसी दिन हो जाएगी.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान ना सिर्फ जासूसी के लिए भोले-भाले सिख यात्रियों का इस्तेमाल कर रहा है बल्कि वो इनका इस्तेमाल भारतीय हिस्से वाले पंजाब में आतंकवादी हमले के लिए भी कर रहा है.


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