पुणे कोर्ट ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को नहीं दी रैली की इजाजत
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पुणे हाई कोर्ट ने भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को पुणे में रैली के करने की इजाजत नहीं दी है. कोर्ट ने पुणे पुलिस से इस मामले अगली सुनवाई तक एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर 2019 को होगी.
रविवार, 30 दिसंबर को पुणे पुलिस ने आजाद को रैली करने की इजाजत देने से मना कर दिया था. जिसके बाद आजाद ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर रैली के लिए इजाजत और ‘गैर-कानूनी तरीके से हिरासत’ में लेने के करने लिए 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी.
वहीं पुणे पुलिस ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा कि पुलिस ने उन्हें रैली करने से मना नहीं किया बल्कि पुणे विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने मैदान पर रैली आयोजित करने की इजाजत नहीं दी थी. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने आजाद को गिरफ्तार नहीं किया था और न ही उन्हें नजरबंद किया गया है.
इस बारे में आजाद ने वीडियो जारी करते हुए दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उन्हें अकारण ही 29 दिसंबर को हिरासत में ले लिया था.
वहीं कल आजाद पुणे पहुंचे जहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पुलिस ने उन्हें रैली करने की अनुमित नहीं दी, जबकि उन्होंने पहले ही अनुमति मांगी थी.
ये सवाल पूछने पर कि क्या वो भीमा कोरेगांव की लड़ाई की सालगिरह पर पेरने गांव में जयस्तंभ जाएंगें, तो उनका जवाब काफी सकारात्क रहा.
ये घटना ऐसे समय पर हुई है जब भीमा- कोरेगांव में हुई हिंसा की पहली बरसी आने वाली है. महाराष्ट्र प्रशासन ने पुणे पुलिस को सख्त आदेश दे रखे हैं कि इस दिन किसी तरह की हिंसा न होने पाए.
हर साल एक जनवरी को पूरे देश से लाखों अंबेडकरवादी पुणे के नजदीक इस जगह पर इकट्ठा होते हैं. यह जगह 19वीं शताब्दी में ब्राह्मण-पेशवा लड़कों के खिलाफ ब्रिटिश सेना की जीत के लिए मशहूर है.
कहा जाता है कि उस समय ब्रिटिश सेना की तरफ से दलितों ने खुलकर हिस्सा लिया था. पिछली बार इसी जगह पर जब लोग इकट्ठा हुए तो कुछ लोगों के समूह ने उनपर हमला कर दिया था.