सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा जवानों की जांच के खिलाफ याचिका खारिज की


review petition filed in ayodhya verdict

  PTI

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में जवानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली 350 आर्मी जवानों की याचिका को खारिज कर दिया है. सैनिकों का कहना था कि आंतकवाद निरोधक अभियान के दौरान की गई कार्रवाई की सीबीआई या पुलिस जांच नहीं होनी चाहिए.

जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने 350 आर्मी जवानों की याचिका को खारिज कर दिया है.

केंद्र की तरफ से कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर अपने विचार रखना चाहता है और इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए.

मेहता ने कहा, “हमें एक ऐसे समाधान की जरूरत है, ताकि आतंकवाद से लड़ते हुए हमारे जवानों के हाथ न कांपे.” उन्होंने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं कि हर व्यक्ति का जीवन महत्वपूर्ण है.

जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर असम राइफल और मणिपुर पुलिस द्वारा मणिपुर में  ‘हत्याओं’ के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिए फैसले में कहा था कि अफस्पा (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) वाले इलाकों में हुई मुठभेड़ की भी पुलिस/सीबीआई जांच हो सकती है. सेना के लोगों पर भी सामान्य अदालत में मुकदमा चल सकता है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, अफस्पा के तहत दी गई शक्तियों का दुरूपयोग करने की इजाजत नहीं है.

इस मामले में जांच करते हुए सीबीआई ने सुरक्षा जवानों के खिलाफ अब तक कई चार्जशीट दर्ज की हैं, दर्जनों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और सबूत मिटाने के आरोप भी लगाए हैं. सीबीआई की इन चार्जशीट में सुरक्षा बलों के जवानों के खिलाफ लगे आरोपों को चुनौती देते हुए आर्मी के जवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दाखिल की. याचिका में कहा गया है कि अगर ऐसा होता है तो आंतकवाद निरोधक अभियान के खिलाफ चलाई जाने वाली सैन्य कार्यवाही बुरी तरह प्रभावित होंगी.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने बेंच के सामने आर्मी की याचिका का समर्थन किया. मेहता ने कोर्ट से कहा कि, “यह अपने आप में दुखद है कि 300 जवानों को यह अनुरोध करना पड़ रहा है. इसका निराशापूर्ण प्रभाव होगा. हमारा देश अपने जवानों को निराशा की स्थिति में नहीं देख सकता. आपसे अनुरोध है कि इस मुद्दे पर बहस को खत्म न करें.”

कोर्ट ने केंद्र के अनुरोध को एक तरफ करते हुए कहा कि अभी इस मामले में केंद्र को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है. इस मुद्दे पर बहस जारी रखने के मेहता के अनुरोध को कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “यह कोर्ट का मुद्दा नहीं है. आप अपनी बहस कर सकते हैं. इसके समाधान ढूंढने का काम आपका है, हमारा नहीं.”

कोर्ट ने कहा कि, “अब तक हुई  सीबीआई की जांच में सामने आया है कि मणिपुर एनकाउंटर केस में कुछ लोगों ने अपने बल का दुरूपयोग किया, ऐसे में जांच जरूर होनी चाहिए.”


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