जामिया: छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर SC में सुनवाई जारी


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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के आरोप मामले में दी गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को कानून और विधि व्यवस्था का मामला बताया.

कोर्ट ने पूछा कि बसें कैसे जली हैं.

वकील इंदिरा जय सिंह ने छात्रों के हवाले से कहा कि यह स्थापित नियम है कि वीसी की बिना अनुमति के विश्वविद्यालय में पुलिस प्रवेश नहीं कर सकती है. सिंह ने कहा कि एक लड़के की आंख की रोशनी चली गई है जबकि कुछ छात्रों की टांग टूट गई है.

सोलिसिटर जनरल टी मेहता ने किसी भी छात्रों की आंख की रोशनी जाने से इनकार किया.

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली एक पीठ ने कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और उपद्रव पर 16 दिसंबर को सख्त रुख अपनाया और कहा कि यह सब फौरन बंद होना चाहिए.

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और कोलिन गोन्जाल्विस के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह ने मामले को कोर्ट के समक्ष उठाया और कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर की गई कथित हिंसा का स्वत: संज्ञान लेने की अपील की थी.

पीठ ने कहा, ‘हम बस इतना चाहते हैं कि हिंसा बंद हो जानी चाहिए.’ साथ ही पीठ ने कहा, ‘अगर हिंसा हुई और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया तो हम इस मामले को नहीं सुनेंगे.’

इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत भी शामिल थे.

पीठ ने वकीलों से उनकी याचिकाएं दायर करने को कहा.


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