आदिवासी बेदखली के खिलाफ दायर याचिका पर आज होगी सुनवाई


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट में आज जंगल से आदिवासी बेदखली के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई होगी. इस याचिका में आदिवासी भूमि के कथित गैर-कानूनी अधिग्रहण की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की गई है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने बीती पांच मार्च को इस याचिका का संज्ञान लिया था. याचिका में केंद्र को आदिवासियों की किसी भी वन भूमि को उस क्षेत्र में रह रहे ‘आदिवासी’ के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित ना करने का निर्देश देने की अपील की गई है.

ये याचिका छत्तीसगढ़ स्थित महिला संगठन तारिका तरंगिनी लारका की तरफ से दाखिल की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को ऐसी ही लंबित याचिका पर सुनवाई करते हुए 13 फरवरी के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी. इस फैसले में 21 राज्यों को उन 11.8 लाख कथित अवैध वनवासियों को हटाने के निर्देश दिए गए थे, जिनके वन भूमि पर दावे को अधिकारियों ने खारिज कर दिया है.

इस याचिका में लारका ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार में अधिकारियों ने आदिवासी भूमि का बड़ा इलाका जबरन हथिया लिया है. इसे बाहरी लोगों को दे दिया और अब ये लोग इलाके से ‘आदिवासियों’’ को निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

याचिका में देश भर में आदिवासियों की जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण की जांच करने के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की भी अपील की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व आदेश में 19 राज्यों से करीब 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों और जंगल में रहने वाले समुदायों से जबरन जंगल खाली कराने का आदेश दिया था.

दरअसल ये लोग अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी कानून, 2006 के तहत वनवासी के रूप में अपने दावे को साबित नही कर पाए थे.


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