इलेक्टोरल बॉन्ड: कोर्ट में कितना टिकेंगी सरकार की दलीलें


supreme court rejects all review petition in ayodhya verdict

 

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि लोगों को ये जानने का कोई अधिकार नहीं है कि राजनीतिक पार्टियों को पैसा कहां से मिल रहा है. सरकार ने ये दलील इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट में  चल रही बहस के दौरान दी. इस मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि कोर्ट पारदर्शिता के नाम पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खत्म नहीं कर सकता. अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने तर्क दिया कि ये स्कीम काले धन को खत्म करने के लिए लाई गई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

हालांकि इस मामले में चुनाव आयोग सरकार की खिलाफत कर रहा है. चुनाव आयोग ने कोर्ट से कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक चंदा देने वालों की पहचान छिपा देगा. कोर्ट में आयोग ने कहा है कि वोट देने के अधिकार की सही व्याख्या ये है कि मतदाता को किसी उम्मीदवार को चुनने से पहले उसकी राजनीतिक पार्टी के बारे में पूरी जानकारी हो

चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाताओं को ये जानने का अधिकार भी है कि उम्मीदवार की पार्टी को पैसा कहां से मिल रहा है. आयोग की ओर से बोलते हुए अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, “अगर ऐसा नहीं है तो उसका वोट डालने का अधिकार अधूरा है”

इस बात का जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा, आयोग का तर्क है कि वोटर के पास जानने का अधिकार है. लेकिन क्या जानने का अधिकार? वोटर को ये जानने का अधिकार नहीं है कि पार्टी को पैसा कहां से मिल रहा है.

2017 में पास हुए फाइनेंस एक्ट ने जो कानून संशोधन किया था, उसके तहत राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी जरूरी नहीं रह गई थी.

चुनाव आयोग ने उस समय इस संशोधन को राजनीतिक फंडिंग की पारदर्शिता को बहुत ही पीछे ले  जाने वाला कदम बताया था और तत्काल प्रभाव से इसे निरस्त करने की मांग की थी.

चुनाव आयोग ने कहा था कि यदि चंदे के स्रोत को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा तो यह पता लगाना असंभव होगा कि चंदा सरकारी और विदेशी स्रोतों से आया है. सरकारी और विदेशी स्रोतों से चंदा लेना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 29(B) के तहत निषिद्ध है.

इस मामले में सभी कानूनी पेंचों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले में 12 अप्रैल को फैसला सुनाए जाने की बात कही थी.


देश