भगत सिंह के सपनों का भारत


 

बात देश की आज़ादी के लिए सबकुछ कुर्बान करने वाले शहीदों और उनके सपनों की। बात शहीदे-आज़म भगत सिंह के सपनों के भारत की। 23 मार्च 1931 को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे। आज आज़ादी के सात दशक बाद सवाल ये है कि क्या हम भगत सिंह के सपनों का भारत बना पाए हैं ?


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