चुनावी चंदा या घूस की छूट


 

संसद में विपक्ष ने चुनावी बॉन्ड्स का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है. चुनावी बॉन्ड का देश के चुनाव आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक – दोनों ने विरोध किया था, लेकिन मोदी सरकार ने तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए 2017 के बजट में चुनावी बॉन्ड की योजना पेश करके उसे ताबड़तोड़ लागू कर दिया. अब विपक्ष सवाल कर रहा है कि सरकार ने रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग के एतराज़ को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? क्या चुनावी बॉन्ड चुनावी चंदा देने का बेहतर तरीका है या घूस की खुली छूट देने का रास्ता है?


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