उच्च शिक्षा पर सवालों में सरकार


 

सरकार जल्द ही देश में विदेशी शिक्षा संस्थानों को अपने कैंपस खोलने की इजाजत दे सकती है. लेकिन सवाल ये है कि इन विदेशी शिक्षा संस्थानों की भारी-भरकम फीस देश के कितने छात्र दे पाएंगे? जब पहले ही जेएनयू और कई दूसरे विश्वविद्यालय के छात्र बढ़ी हुई फीस देने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो क्या वो विदेशी संस्थानों की दहलीज पार कर पाएंगे? क्या सरकार उच्च शिक्षा को धीरे-धीरे महंगे निजी संस्थानों के हवाले करना चाहती है?


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