ऐ भाई, जरा देख के बोलो


 

नागरिकता संशोधन कानून पर कैब में चर्चा करने पर कैब ड्राइवर ने कवि और सामाजिक कार्यकर्ता बप्पादित्य सरकार को पुलिस स्टेशन पहुंचा दिया. बप्पादित्य सरकार कैब में बैठकर फोन पर सीएए को लेकर किसी से बात कर रहे थे. क्या अब कहीं भी नागरिकता कानून के खिलाफ कुछ बोलने से पहले सोचना पड़ेगा? क्या सीएए ने लोगों को सीधे-सीधे दो धड़ों में बांट दिया है?


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