भूख से मरने से अच्छा है हम सड़क पर मरें


 

सरकार का ये दावा है कि गरीब प्रवासी मजदूरों को वापस गांव जाने की कोई जरूरत नहीं है और वो उन्हें या तो राशन या फिर पका भोजन मुहैया करवा रही है. तो फिर मजदूर क्यों आठ-आठ सौ किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर हैं?


Exclusive