साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (एपिसोड – 10)


 

इस अंक में खास – कलाकारों के बगैर हर आयोजन अधूरा फिर भी हाशिये पर क्यों हैं कलाकार, आज स्त्री नहीं, पुरुष विमर्श की ज्यादा ज़रूरत – कहती हैं ममता कालिया और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों की ‘परिक्रमा’.


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