साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (एपिसोड – 14)


 

इस अंक में खास – मंचीय कवियों का बाजार और कविता की तमाम धाराओं के अंतर्विरोध, अब किसी राजनीतिक पार्टी पर भरोसा न रहा – डॉ कुंअर बेचैन और साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों की ‘परिक्रमा’.


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