लाइलाज न हो जाए बैंकों का मर्ज


 

डूबते कर्ज और बढ़ते NPA के कारण देश के बैंक पहले से ही परेशान हैं. अब रियल एस्टेट, टेलिकॉम और पावर सेक्टर की मंदी ने बैंकों की परेशानी और बढ़ा दी है. बैंकों ने अपने कर्ज का बड़ा हिस्सा इन सेक्टर्स की कंपनियों को दिया है जो मंदी के कारण संकट में घिरती जा रही हैं. ये कंपनियां अगर अपने कर्ज चुका नहीं पाईं तो बैंकों की काफी पूंजी डूबने का खतरा है. अगर ऐसा हुआ पहले से ही एनपीए के बोझ में दबे बैंकों की सेहत और बिगड़ सकती है. डर ये है कि कहीं लाइलाज न हो जाए बैंकों का मर्ज.


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