दमन से रुकेगा आंदोलन!


 

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आंदोलन तेज होता जा रहा है. इसके फैलाव का दायरा भी बढ़ रहा है. लेकिन आंदोलनकारियों से बात करने और उनकी शिकायत सुनने की कोई पहल सरकार ने नहीं की है. उलटे दमन बढ़ता जा रहा है. क्यों? क्या सरकार के इस रुख को लोकतांत्रिक कहा जाएगा?


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