डेटा की साख पर नए सवाल


 

सांख्यिकी विशेषज्ञ डॉ. प्रणब सेन ने आशंका जताई है कि प्रस्तावित एनपीआर को लेकर देश में जारी विरोध के कारण मुमकिन है कि इस बार जनगणना के आंकड़े देश के वास्तविक सूरत को ना दिखाएं. ऐसा हुआ तो अगले दस साल तक कोई ठोस नीति बनाना मुश्किल हो जाएगा. क्या सचमुक इस अंदेशे में दम है?


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