जनता का मूड और विपक्ष की रणनीति


 

कुछ दिनों पहले तीन हिन्दीभाषी राज्यों के चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया था कि मज़बूत विपक्ष बीजेपी को हरा सकता है। इन नतीजों के बाद विपक्षी एकजुटता की बातें भी हुईं लेकिन उस पर अमल अब तक अधूरा है जबकि लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है। विपक्ष के इस बिखराव का सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। ऐसे में सवाल ये है कि विपक्षी एकजुटता की ये कमी क्या बदलाव की जन-आकांक्षा पर भारी पड़ेगी ? क्या कमज़ोर विपक्ष एकजुट एनडीए का मुकाबला कर पाएगा ?


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