मंदी में हुई तंगी


 

NSO यानी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि 2017-18 के दौरान प्रति व्यक्ति औसत खर्च 40 साल में पहली बार कम हुआ है. इस मामले में गांवों की हालत तो और भी खराब है. लोग न सिर्फ शिक्षा और कपड़ों पर खर्च में कटौती कर रहे हैं बल्कि खाने-पीने पर होने वाला जरूरी खर्च घटाने को भी मजबूर हैं. क्या वाकई अर्थव्यवस्था की इतनी खराब हो गई है कि देश में गरीबी बढ़ने लगी है? क्या इस आर्थिक बदहाली के लिए नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार हैं?


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