डेटा पर भारत-अमेरिका में तनातनी
डिजिटल दौर में डेटा को सबसे बड़ी संपत्ति कहा जाता है और इसी को लेकर भारत और अमेरिका आमने-सामने हैं. भारत ने ड़ेटा के मुक्त प्रवाह को लेकर विकसित देशों के प्रस्ताव पर साइन नहीं किया. क्या विकसित देश अपने फायदे के लिए डेटा के मुक्त प्रवाह की बात कर रहे हैं? क्या डेटा के लोकलाइजेशन पर भारत और अमेरिका में तनातनी और बढ़ेगी?