सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी नाकामी


 

एम्स जैसे अस्पतालों में स्थिति ये है कि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज़ों को भी घंटों लाइन में इंतज़ार करना पड़ता है. बारी आने में कई बार महीनों तक का वक्त लग जाता है. दिल्ली से दूर दराज़ के राज्यों से लोग यहां इलाज की उम्मीद में आते हैं. कईयों को इलाज मिलता भी है. लेकिन इंतज़ार के दिन मुश्किल होते हैं. न रहने को ठिकाना मिलता है न अन्य सुविधाएं. मरीज़ों की बड़ी तादाद ऐसी है जिन्हें सरकारी योजनाओं का फ़ायदा तक नहीं मिलता. सर्द मौसम इन स्वास्थ्य प्रवासियों की तकलीफ़ कई गुना बढ़ा देता है. एक अरसे से एम्स के साथ-साथ दिल्ली के दूसरे सरकारी अस्पतालों के बाहर हम इसी तरह की स्थिति देखते आ रहे हैं. ये हालात बदलते क्यों नहीं हैं.


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