अबकी बार, डेटा पर वार!


 

क्या सरकार मंदी का संकेत देने वाले आंकड़ों को दबाना चाहती है? एक अखबार ने खबर छापी कि NSO के आंकड़ों के मुताबिक देश में 40 साल में पहली बार उपभोग पर होने वाला खर्च घट गया है, तो तुरंत सरकार हरकत में आई. उसने बयान जारी किया कि NSO के इन आंकड़ों को जारी नहीं किया गया ,है क्योंकि उनमें कुछ दिक्कत है. इस बीच दो और आंकड़े आ गए. देश के 133 पावर प्लांट्स में बिजली का उत्पादन मांग में कमी के कारण रोकना पड़ा है. फिर NCAER ने बताया कि जुलाई से सितंबर 2019 के दौरान देश की GDP विकास दर गिरकर 4.9% हो जाने की आशंका है. ये दोनों ही आंकड़े आर्थिक मंदी लगातार गंभीर होने की तरफ इशारा कर रहे हैं. क्या सरकार आंकड़ों को दबाकर गहराती मंदी की असलियत को छिपाना चाहती है?


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