चुनाव में गोली की बोली क्यों?


 

दिल्ली में मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, भड़काऊ बयानों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. अब बात सिर्फ नेताओं की जुबान से निकले हिंसक बयानों तक ही सीमित नहीं है. उनके भड़काऊ बयानों का असर दिल्ली की सड़कों पर फायरिंग की शक्ल में दिखाई दे रहा है. देश की राजधानी में पिछले एक हफ्ते के दौरान फायरिंग की तीन ऐसी वारदात हुई हैं, जिन्हें विपक्ष सीधे-सीधे बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों का नतीजा बता रहा है. क्या कोशिश दिल्ली के चुनाव में मतदाताओं को सांप्रदायिक गोलबंद करने की है?


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