नागरिकता कानून से बदलेगा संविधान?
मोदी सरकार लोकसभा में ये बिल सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव के लिए लेकर आई है. विपक्ष का कहना है कि नागरिकता देते समय धर्म के आधार पर भेदभाव करना न सिर्फ संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे पर बड़ा हमला है. नागरिकता संशोधन बिल क्या सचमुच हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है? क्या ये बिल वाकई हमारे धर्मनिरपेक्ष संविधान की मूल भावना को चोट पहुंचाता है?