मतभेदों के बीच जी 20 सम्मेलन, पीएम मोदी ने दिया ‘JAI’ फॉर्मूला
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अमेरिका, रूस और चीन के राष्ट्रपतियों की भागीदारी के साथ जी – 20 शिखर सम्मेलन ब्यूनस आयर्स 30 नवंबर से शुरू हुआ. वहीं, 10 साल के इतिहास में इस बार गहरे मतभेद उभर कर सामने आए हैं. रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन ने बिना नाम लिए डोनल्ड ट्रंप पर प्रतिबंधों और व्यापार संरक्षणवाद के इस्तेमाल को लेकर हमला बोला है.
सम्मेलन में सउदी अरब के विवादों में घिरे शाहजादे मोहम्मद बिन सलमान भी भाग ले रहे हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने कहा कि वे सम्मेलन से इतर शहजादे के साथ मुलाकात में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का मुद्दा उठाएंगे.
इससे पहले यूक्रेन विवाद को लेकर ट्रंप ने पुतिन के साथ एक द्विपक्षीय बैठक रद्द कर दी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री जनधन योजना, मुद्रा और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ जैसी प्रमुख योजनाओं का जिक्र किया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 सम्मेलन के पहले सत्र में अपनी बात रखी. उन्होंने अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और समावेशी विकास को बढावा देने के लिए चलाई रही जनधन योजना, मुद्रा, स्टार्ट अप इंडिया योजनाओं का जिक्र किया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 20 की बैठक के अतिरिक्त अन्य देश के नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं. उन्होंने ब्रिक्स देशों के नेताओं की औपचारिक बैठक में कहा कि विश्व, आतंकवाद और कट्टरपंथ की बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने अपने संबोधन में ब्रिक्स और जी 20 देशों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के आतंकरोधी ढांचे को मजबूत बनाने पर जोर दिया ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क, वित्तपोषण और गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके.
उन्होंने कहा “हम सब इस पर सहमत हैं कि आतंकवाद और कट्टरपंथ सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका विश्व आज सामना कर रहा है. ये केवल शांति और सुरक्षा के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी चुनौती हैं.”
उन्होंने ब्रिक्स और जी 20 समेत सभी देशों से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीए) के मानकों और संयुक्त राष्ट्र आतंकरोधी ढांचे को मजबूत बनाने का आग्रह किया ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क, उनके वित्त पोषण और गतिविधियों की रोकथाम की जा सके.
जी 7 देशों की पहल पर धनशोधन के खिलाफ लड़ाई में नीतियों का निर्माण करने के लिए 1989 में अंतरसरकारी संगठन एफएटीएफ की स्थापना किया गया था.
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सी रामफोसा, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तिमेर उपस्थित थे.
मोदी ने कहा कि वैश्वीकरण ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, लेकिन हम वैश्वीकरण के लाभों के समान वितरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रों का संरक्षणवाद बढ़ रहा है और मुद्रा अवमूल्यन और तेल की कीमतों में वृद्धि पर चिंता जताई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल तेमेर की मुलाकात में अंतररराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों के साथ सतत विकास की चुनौतियों पर बातचीत हुई.
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पांचों नेताओं ने कहा है कि वे बहुपक्षवाद और निष्पक्ष, समान, लोकतांत्रिक और प्रतिनिधिमूलक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.
बयान के अनुसार, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर जोहानिसबर्ग घोषणा में चिन्हित सभी तत्वों सहित, आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक प्रयास करने का आग्रह करते हैं.’’
उन्होंने यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों के तहत अपनाये गये पेरिस समझौते पूरी तरह से लागू करवाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.
ब्रिक्स नेताओं ने विकसित देशों से पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से पार पाने के लिये वित्तीय, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण में समर्थन देने का आग्रह किया.
अमेरिका तथा चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध के बीच इन नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान प्रणाली के प्रभावी तरीके से कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि इसके सदस्यों में डब्ल्यूटीओ के साथ जुड़ने का विश्वास बना रहे.
बयान के अनुसार, ‘‘हम पारदर्शी, भेद-भाव रहित, खुले और समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुनिश्चित करने के लिये नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.’’
शिखर सम्मेलन से ठीक पहले एक अन्य मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वैश्विक और बहुपक्षीय हितों के मुद्दों पर बातचीत की.
रणनीतिक महत्व के हिंद – प्रशांत क्षेत्र में चीन के अपनी शक्ति प्रदर्शित करने के मद्देनजर यह बैठक काफी मायने रखती है.
मोदी ने साझा मूल्यों पर साथ मिलकर काम जारी रखने पर जोर देते हुए कहा , ‘‘जेएआई (जापान, अमेरिका, भारत) की बैठक लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित है…‘जेएआई’ का अर्थ जीत शब्द से है.’’
जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि वह प्रथम ‘जेएआई त्रिपक्षीय ’ में भाग लेकर खुश हैं. ट्रंप ने बैठक में भारत के आर्थिक विकास की सराहना की.
तीनों नेताओं ने संपर्क, सतत विकास, आतंकवाद निरोध और समुद्री एवं साइबर सुरक्षा जैसे वैश्विक एवं बहुपक्षीय हितों के सभी बड़े मुद्दों पर तीनों देशों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने हिंद – प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून एवं सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण हल पर आधारित मुक्त, खुला, समग्र और नियम आधारित व्यवस्था की ओर आगे बढ़ने पर अपने विचार साझा किए.
मोदी, ट्रंप और आबे बहुपक्षीय सम्मेलनों में त्रिपक्षीय प्रारूप में बैठक करने के महत्व पर भी सहमत हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्यूनस आयर्स में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे से बातचीत की है. यह मुलाकात जी20 शिखर सम्मेलन के 30 नवंबर को शुरू होने से पहले हुई.
रवीश कुमार ने पुतिन, इटली के प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंते और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ मोदी की बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लीडर्स लाउंज में रूस, इटली और ब्रिटेन के नेताओं से बात हुई.’’
मोदी ने चिली के राष्ट्रपति सेबस्टियन पिनेरा से भी मुलाकात की और उनके साथ कारोबार, ऊर्जा, कृषि और स्वास्थ्य जैसे परस्पर हित के कई क्षेत्रों में सहयोग बढाने के तरीकों पर चर्चा की.
जी-20 विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. इस साल के सम्मेलन का विषय ‘‘निष्पक्ष एवं सतत विकास के लिए आम राय बनाना’’ है. 30 नवंबर और एक दिसंबर दो दिन यह सम्मेलन चलेगा.