रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस: तीन करोड़ 50 लाख पौंड गंवाने के बाद पाकिस्तान को देना होगा 65 फीसदी कानूनी खर्च


In Kozhikode, Kerala, the police have arrested EK Usman in an alleged triple talaq case

 

देश के 1947 में विभाजन के समय हैदराबाद के निज़ाम के कोष को लेकर पाकिस्तान के साथ दशकों पुराने कानूनी विवाद में भारत के पक्ष में फैसला सुनाने वाले ब्रिटिश हाई कोर्ट के एक कोर्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान को कानूनी खर्च के लिए लाखों पाउंड का भुगतान करने का आदेश दिया.

निजाम के वंशज तथा हैदराबाद के नाम के आठवें निजाम शहजादे मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मफकम जाह ने इस कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिलाया था. यह मामला करीब तीन करोड़ 50 लाख पौंड का है जो लंदन के नैटवेस्ट बैंक में पड़ा है.

सालों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद न्यायाधीश मार्कस स्मिथ ने अक्टूबर में फैसला दिया था कि सातवें निजाम इस कोष के हकदार हैं और उनके हक में दावा करने वालों- शहजादों एवं भारत को इसका भुगतान किया जाना चाहिए.

लंदन स्थित रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस मामले की आखिरी सुनवाई में गुरूवार को न्यायाधीश स्मिथ ने मामले को निपटाते हुए पाकिस्तान को कानूनी खर्चे का 65 फीसदी दूसरे पक्षों को भुगतान करना करने का आदेश दिया.

अदालत के आदेश के अनुसार इसके तहत भारत लगभग 28, लाख दो हजार 192 पौंड, शहजादा मफखम जाह 18 लाख 35 हजार 445 पौंड और हैदराबाद के नाम के आठवें निजाम शहजादे मुकर्रम जाह सात लाख 95 हजार 64 पौंड के हकदार हैं.

इस मामले की सुनवाई 2013 में शुरू हुई थी लेकिन यह विवाद 1948 से ही चल रहा था.


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