अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजा गया
मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर अवार्ड से नवाजा.
इस मौके पर उनकी पत्नी और मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन मौजूद थे.
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अंतर्गत दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल पदक और एक शॉल प्रदान की जाती है. दादासाहेब फाल्के पुरस्कार किसी कलाकार के लिए भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है.
अभिनेता ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुनने को लेकर सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के जूरी सदस्यों का धन्यवाद व्यक्त किया.
कुछ साल पहले अमिताभ बच्चन को बीबीसी की ओर से किए गए एक ऑनलाइन सर्वे में ‘स्टार ऑफ द मिलेनियम’ बताया गया था.
इस मौके पर बच्चन ने अपने भाषण में कहा, ‘भगवान मेरे प्रति दयालु रहे हैं, मेरे माता-पिता का आशीर्वाद मेरे साथ है, उद्योग के फिल्मकारों, निर्माताओं और सह कलाकारों का सहयोग मेरे साथ रहा है. मैं भारतीय दर्शकों के प्रेम और उनसे लगातार मिलने वाले प्रोत्साहन के लिए कृतज्ञ हूं. उनकी वजह से मैं यहां खड़ा हूं. मैं अत्यंत विनम्रता एवं कृतज्ञता के साथ यह पुरस्कार स्वीकार करता हूं.’
हिंदी फिल्म जगत में वर्ष 1969 में ‘सात हिंदुस्तानी’ फिल्म से उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की थी.
पांच दशक के अपने फिल्मी करियर में बच्चन शीर्ष पर बने रहे और फिल्मों में यादगार काम के जरिए अपने प्रशंसकों को हैरान करते रहे.
कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद अमिताभ बच्चन ने 1973 में प्रकाश मेहरा की एक्शन फिल्म ‘जंजीर’ के जरिए आखिरकार सफलता का स्वाद चखा. इस फिल्म ने उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में पहचान दिलाई.
इसके बाद उन्होंने दीवार,शोले,मिस्टर नटवरलाल,लावारिस,मुकद्दर का सिकंदर,त्रिशूल,शक्ति और काला पत्थर जैसी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के जरिए दर्शकों के दिलों में अपनी एक अलग छाप छोड़ी.
बच्चन ने अभिमान, मिली, कभी-कभी और सिलसिला जैसी फिल्मों में संवेदनशील भूमिकाएं अदा कीं.
उन्होंने नमक हलाल,सत्ते पे सत्ता,चुपके-चुपके और अमर अकबर एंथनी जैसी फिल्मों के जरिए कॉमेडी में भी हाथ आजमाया.
अस्सी के दशक के दौरान उनके करियर में आये उतार-चढ़ाव के बाद 1990 में मुकुल एस आनंद की फिल्म ‘अग्निपथ’ में बच्चन ने गैंगस्टर विजय दीनानाथ चौहान की बेहतरीन भूमिका अदा की, जिसके लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला.
इसके बाद अभिनेता ने 2000 के दशक में चरित्र भूमिकाएं निभाना शुरू किया और 2001 में आदित्य चोपड़ा निर्देशित फिल्म ‘मोहब्बतें’ में उन्होंने ऐश्वर्या राय के पिता की भूमिका निभाई.
इसके बाद उन्होंने गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की मेजबानी के जरिए टेलीविजन क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत की.
इसके साथ ही वो फिल्मों में भी काम करते रहे. उन्होंने आंखें, बागबान,खाकी,सरकार,ब्लैक,पा, पीकू और पिंक जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाए.
सरकार ने बच्चन को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1984 में पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.