पिछले साल के मुकाबले प्याज का औसत मूल्य पांच गुना बढ़कर 101 रुपये प्रति किलो
देश के प्रमुख शहरों में प्याज का औसत भाव एक साल में पांच गुना बढ़कर 101.35 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. खरीफ और खरीफ में देर से बोए जाने वाले प्याज का उत्पादन में 22 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी.
पिछले एक महीने में प्याज का बाजार 81 फीसदी चढ़ गया है.
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने बताया कि प्याज का अखिल भारतीय दैनिक औसत खुदरा मूल्य एक महीने पहले 55.95 रुपये प्रति किलो और एक साल पहले 19.69 रुपये प्रति किलो था. यह मंगलवार (10 दिसंबर) को 101.35 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया था.
उन्होंने कहा, ‘खरीफ और देर-खरीफ, दोनों सीजन को मिलाकर प्याज उत्पादन 54.73 लाख टन होने का अनुमान है, जो वर्ष 2018-19 में 69.91 लाख टन था.’
प्याज एक मौसमी फसल है. रबी के प्याज की फसल (मार्च से जून) के बीच तैयार होती है। खरीफ प्याज उत्पादन की अवधि (अक्टूबर से दिसंबर) है और देर खरीफ प्याज उत्पादन की अवधि (जनवरी से मार्च) है. बीच की अवधि (जुलाई से अक्टूबर) के दौरान भंडारित किए गए प्याज को बाजार में उतारा जाता है.
कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में प्याज का भंडारण क्रमशः 48.73 लाख टन और 50.05 लाख टन था.
दादाराव ने कहा, ‘वर्ष 2019-20 के दौरान, मानसून के देर से आगमन के कारण खरीफ प्याज के बोए गए रकबे में गिरावट के साथ-साथ बुवाई में तीन-चार सप्ताह की देरी हुई. इसके अलावा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में कटाई के समय सितंबर/अक्टूबर में, बेमौसम लंबे समय तक हुई बरसात की वजह से प्याज की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा.
दादाराव ने कहा, ‘इस सब ने खरीफ फसल के उत्पादन और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. सितंबर और अक्टूबर माह के दौरान हुई बारिश ने इन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक फसल ले जाने के काम को भी प्रभावित किया. इसकी वजह से बाजार में खरीफ प्याज की उपलब्धता सीमित रह गई और इसका कीमतों पर दबाव बन गया.’
मंत्री ने कहा कि प्याज की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, कई कदमों को उठाया गया. इन कदमों में रबी 2019 के दौरान लगभग 57,373 टन प्याज के बफर स्टॉक का निर्माण किया गया, 29 सितंबर से निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया, इसके आयात के लिए सुविधा देने, व्यापारियों पर प्याज का स्टॉक रखने की सीमा तय करने, एमएमटीसी के जरिए प्याज के आयात की मंजूरी देने और प्याज की कमी वाले राज्यों में आपूर्ति के लिए इस सब्जी का अधिक उत्पादन अथवा इसका अधिशेष रखने वाले राज्यों से प्याज की घरेलू खरीद करने जैसे कदम शामिल हैं.