CAA संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन नहीं करता, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून किसी भी मूलअधिकार का अतिक्रमण नहीं करता है. केंद्र सरकार ने यह जवाब नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में दिया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने 129 पन्ने के हलफनामे में नागरिकता संशोधन कानून को पूरी तरह से कानूनी और संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन ना करने वाला बताया.
सरकार ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन कानून विधायिका को कोई मनमानी शक्ति नहीं देता क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिता कानून के तहत नागरिकता दी जानी है.
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक के कानूनी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने का प्रयास नहीं करता है.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट नें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ याचिका दायर की थी. राजस्थान सरकार ने कहा कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है जो हमारे संविधान की मूल भावना है. राजस्थान सरकार ने यह भी कहा यह कानून जीवन और बराबरी के मूलअधिकार का भी उल्लंघन करता है. राजस्थान सरकार से पहले केरल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ याचिका दाखिल की है.
केरल सरकार ने सबसे पहले विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया. केरल सरकार का कहना है कि कानून में मनमाने तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को शामिल करने के पीछे कोई तर्क नहीं है.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में और भी याचिकाएं डाली गई हैं. राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा, टीएमसी नेता मोहुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवेशी के अलावा जमीयत उलमा-ए-हिंद, आल असम स्टूडेंड यूनियन, पीस पार्टी, सीपीआई, रिहाई मंच, सिटिजेंस अगेंस्ट हेट और कानूनी छात्रों ने भी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली हैं.