मशहूर फिल्मकार मृणाल सेन का निधन


filmmaker mrinal sen died at 95

 

फिल्म निर्माता मृणाल सेन का आज 95 साल की उम्र में निधन हो गया है. सेन ने कोलकाता स्थित अपने निवास पर आज सुबह आखिरी सांसे लीं.

‘पद्मभूषण’ और ‘दादा साहब फालके पुरस्कार’ जीतने वाले सेन ने भारत में समानांतर सिनेमा या कला सिनेमा को लाने में अहम भूमिका निभाई. सेन अपनी फिल्मों के माध्यम से तत्कालीन भारत की कठोर सच्चाइयों को सबके सामने रखना चाहते थे.

सेन ने सबसे पहले साल 1955 में फीचर फिल्म ‘रातभोर’ से फिल्मकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद साल 1970 में आई उनकी फिल्म ‘बाइशे श्रावण’ ने उन्हें एक फिल्मकार के रूप में स्थापित किया. सेन ने ‘मृगया’ (1976) फिल्म बनाकर ये साफ कर दिया कि वो यहां तत्कालीन मुद्दों को अपनी फिल्म के माध्यम से दर्शाने आए हैं. इस फिल्म से करियर की शुरुआत करने वाले मिथुन चक्रवर्ती ने एक ऐसे आदिवासी की भूमिका निभाई थी जो ग्रामीण भारत में ज़मीदार के अत्याचारों से पीड़ित था. ‘एक दिन अचानक’, ‘पदातिक’ और ‘मृगाया’ उनकी कुछ ऐसी ही कभी न भूलने वाली फिल्मों में से एक हैं.

इसके बाद हर फिल्म के साथ उनके सिनेमा में परिपक्वता बढ़ती गई. इन फिल्मों से सेन को न केवल राष्ट्रीय ख्याति मिली बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें खूब सराहना मिली. ‘भुवन शोम’, ‘कोरस’, ‘खंडहर’ उनकी बेहतरीन फिल्मों में शामिल हैं. फरीदपुर (अब बांग्लादेश) में जन्मे सेन का ज्यादातर काम बंगाली भाषा में देखने को मिलता है.

अपनी फिल्मों से भारत में सिनेमा के एक नए युग की शुरुआत करने वाले मृणाल सेन को 12 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.


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