सरकार ने घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर घटाकर 25.17 प्रतिशत की


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सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिए बड़ी घोषणा करते हुए कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटा दी. अब घरेलू कंपनियों के लिए सभी अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नई दर चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से प्रभावी होगी.

उन्होंने कहा कि दर कम करने तथा अन्य घोषणाओं से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है. सीतारमण ने कहा कि निवेश और आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

यदि कोई घरेलू कंपनी किसी भी प्रोत्साहन का लाभ नहीं लें तो उनके लिए कॉरपोरेट कर की दर 22 प्रतिशत होगी.

उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम तथा वित्त अधिनियम में किए गए बदलाव अध्यादेश के जरिए अमल में लाए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर देने की जरूरत नहीं होगी.

वित्तमंत्री ने कहा कि एक अक्टूबर के बाद बनने वाली घरेलू विनिर्माण कंपनियां बिना किसी प्रोत्साहन के 15 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान कर सकेंगी. इनके लिये अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 17.01 प्रतिशत होगी.

उन्होंने कहा कि छूट का लाभ उठा रही कंपनियां इनकी अवधि समाप्त होने के बाद कम दर पर कर का भुगतान करने का विकल्प चुन सकती हैं.

सरकार ने प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयरों की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर बजट में प्रस्तावित उपकर को भी वापस लेने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-उपकर समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है.

वित्तमंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी धनाढ्य-उपकर नहीं देना होगा.

कंपनियों को अब दो प्रतिशत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) इनक्यूबेशन, आईआईटी, एनआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं पर खर्च करने की भी छूट दी गई है.

सीतारमण ने कर में छूट से मेक इन इंडिया में निवेश आने तथा रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने का भरोसा जाहिर किया. उन्होंने कहा कि इससे अधिक राजस्व प्राप्त होगा.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रही. ये छह सालों के न्यूनतम स्तर पर पंहुच गई, जिसके बाद सरकार ने बीते हफ्तों में सिलसिलेवार तरीके से अलग-अलग एलान किए. बीते हफ्ते वित्त मंत्री ने हाउसिंग क्षेत्र को सुस्ती से उबारने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की.

वहीं गुरुवार को सरकार ने बैंकों से कहा कि वे मार्च, 2020 तक सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के दबाव वाले कर्ज को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित नहीं करें. साथ ही सरकार ने बैंकों से एमएसएमई के कर्ज के पुनर्गठन पर काम करने को कहा है.


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