गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव मामले में किया आत्मसमर्पण


supreme court increases protection time for gautam navlakha for four weeks

 

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने उच्चतम न्यायालय से राहत विस्तार नहीं मिलने के बाद मंगलवार को यहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. नवलखा को उच्चतम न्यायालय ने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था.

उन्हें 2018 के भीमा कोरेगांव दंगे में कथित संलिप्तता को लेकर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी बनाया गया है. सालों से मुम्बई से निकलने वाले इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली जर्नल के संपादक नवलखा उन पांच मानवाधिकार कायकर्ताओं में से एक हैं जिन्हें माओवादियों के साथ कथित संबंधों और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया था.

हालांकि बाद में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने 16 मार्च को नवलखा को तीन सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. दरअसल नवलखा ने इस आधार पर राहत बढ़ाने की अर्जी लगायी थी कि कोविड-19 महामारी के दौरान जेल जाने का मतलब एक प्रकार का मृत्युदंड है. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने आठ अप्रैल को कहा था कि आरोपी को अग्रिम जमानत रद्द होने के अदालत के फैसले तथा तीन सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण करने के निर्देश का सम्मान करना चाहिए. नवलखा ने अपने विरूद्ध लगे सभी आरोपों से इनकार किया है.


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