मूडीज ने कम आर्थिक वृद्धि का हवाला देकर भारत की रेटिंग को ‘नेगेटिव’ किया
रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कम आर्थिक विकास दर का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग को ‘स्थिर’ से घटाकर ‘नेगेटिव’ कर दिया है.
एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि बहुत कम रहने की आशंका है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ‘देश की स्थितियां दिखाती हैं कि सरकार और नीतियां आर्थिक सुस्ती से निपटने में विफल रही हैं. जिससे पहले से अधिक कर्ज का भार और अधिक हो गया है.’
एजेंसी ने कहा कि ‘सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से अर्थव्यवस्था में कुछ तेजी आनी चाहिए थी, लेकिन ग्राणीण अर्थव्यवस्था में वित्तीय संकट, नौकरियों में गिरावट और एनबीएफसी में नकदी संकट के चलते आर्थिक सुस्ती का संकट और अधिक गहरा गया है.’
मूडीज ने कहा कि करोबार में निवेश और विकास दर को बढ़ावा देने के लिए सुधारों से अर्थव्यवस्था में तेजी आने की संभावनाएं भी अब कम हो गई हैं.
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में भारी कमी दर्ज की गई. इस तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर केवल 5 प्रतिशत रही. 2013 के बाद ये पहली बार हुआ जब वृद्धि दर इतनी कम रही.
बीते महीने मूडीज ने 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था. वहीं रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया. फिच की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के कारण कर्ज देने में कमी से आर्थिक वृद्धि दर छह साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है.