कोरोना के कारण भारत को मिलने वाले रेमिटेंस में 23 फीसदी की कमी का अनुमान


industrial output decline by 1.1 percent in august

 

विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण आई वैश्विक मंदी के चलते भारत को मिलने वाले रेमिटेंस में भारी कमी का अनुमान है.

विश्व ने कहा, ‘2020 में भारत को मिलने वाले रेमिटेंस में 23 फिसदी की कमी का अनुमान है.  इस साल प्रवासी भारतीय 64 बिलियन डॉलर रेमिटेंस भेज सकते हैं. एक साल पहले यानी 2019 में देश में 83 बिलियन डॉलर की रकम भेजी गई थी. पिछले साल रेमिटेंस में 5.5 फीसदी तक की बढ़त रही थी.’

दरअसल, एक प्रवासी अपने मूल देश को बैंक, पोस्ट ऑफिस या ऑनलाइन ट्रांसफर आदि के माध्यम से रुपये भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं.

महामारी की चलते विभिन्न उद्योगों पर गिरे शट्टर के कारण इस साल वैश्विक स्तर पर रेमिटेंस में 20 फीसदी की कमी आने का अनुमान है.

बैंक ने कहा कि हालिया समय में रेमिटेंस में आई ये सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है. विभिन्न देशों में काम करने वाले प्रवासी कर्मियों को उन देश में वेतन की कमी का सामना करना पड़ सकता है. इन लोगों की नौकरी जाने और वेतन में कमी का खतरा सबसे अधिक होगा.

विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि विकासशील देशों के लिए रेमिटेंस आय का एक प्रमुख साधन होते हैं. कोविड-19 के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण प्रवासी कर्मियों द्वारा अपने देश अपने घर रुपये भेजने की क्षमता में गिरावट आएगी.

विश्व बैंक समूह के सभी प्रांतों में रेमिटेंस में गिरावट का अनुमान है. रेमिटेंस में सबसे अधिक 27.5 फीसदी की कमी यूरोप और मध्य एशिया में आने का अनुमान है. इसके बाद उप सहारा अफ़्रीका में 23.1 फीसदी, दक्षिण एशिया में 22.1 फीसदी, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 19.6 फसीदी, लातीन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में 19.3 फीसदी और पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 13 फीसदी की कमी का अनुमान है.

पाकिस्तान के रेमिटेंस में भी 23 फीसदी की गिरावट आ सकती है और ये 17 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है. एक साल पहले यानी 2019 में 22.5 बिलियन डॉलर प्रवासी पाकिस्तानियों ने पैसे भेजे थे. वहीं बांग्लादेश में इस साल 14 बिलियन डॉलर रेमिटेंस आने का अनुमान है. यह एक साल पहले के मुकाबले 22 फीसदी कम है. इसी तरह, नेपाल और श्रीलंका के रेमिटेंस में क्रमश: 14 फीसदी और 19 फीसदी की गिरावट आ सकती है.


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