कांग्रेस लाएगी स्वास्थ्य सेवा कानून: राहुल गांधी


Rahul Gandhi wrote an open letter after resigning as Congress President

 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार जनकल्याणकारी योजनाओं का वादा कर लोकसभा चुनाव में आपनी पार्टी के सामाजिक एजेंडे को स्थापित करने का काम कर रहे हैं.  शुक्रवार को इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने घोषणा पत्र में स्वास्थ्य सेवा कानून को शामिल करने की बात कही ताकि सभी के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ स्वास्थ्य योजना की भी आलोचना की.

उन्होंने यहां एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चिकित्सकीय पेशेवरों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हम अपने घोषणापत्र में तीन चीजों पर विचार कर रहे हैं : हम सभी भारतीयों के लिए निश्चित न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा अधिकार कानून शामिल करने, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में खर्च को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत से बढ़ाने और चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं.’’

राहुल ने यह भी कहा कि यदि उनकी पार्टी 2019 के आम चुनावों में सत्ता में आती है तो वे स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र का खर्च बढ़ाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ग्रामीण व्यवस्था से शहरी व्यवस्था में तब्दील हो रहा है. बड़े स्तर पर पलायन हो रहा है और यह स्थिति अच्छी नहीं है.’’राहुल ने कहा कि 21वीं सदी में किसी भी सरकार को भारतीय नागरिकों की रक्षा करने के लिए रोजगार, सस्ती शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करनी ही होगी.

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से, इन चीजों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यदि हम ये सब नहीं करते हैं, तो हम सफल नहीं हो सकते.’’ उन्होंने कहा कि फिर से गरीब होने का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य सेवा है.

राहुल गांधी ने आयुष्मान भारत योजना के बारे में कहा, ‘‘मैं इसे एक सीमित योजना के तौर पर देखता हूं जिसमें सीमित स्वास्थ्य सेवा मामलों को लक्ष्य बनाया गया है. यदि मैं स्पष्ट कहूं तो यह भारत के चुनिंदा 15-20 अमीर कारोबारियों के हाथ में है. हम इस प्रकार की योजना नहीं लाएंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आयुष्मान भारत योजना की मुख्य रूप से इसलिए आलोचना करता हूं कि यह अस्पताल एवं चिकित्सकीय पेशेवरों की क्षमता बढ़ाए बिना बीमा मुहैया कराती है. स्वास्थ्य सेवा की क्षमता बढ़ाए बिना कोई बीमा प्रणाली काम नहीं कर सकती.’’

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की आवश्यकता है. निस्संदेह निजी संस्थाओं, बड़े कारोबारों और बीमा की भी इसमें भूमिका है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की ही होनी चाहिए.’’

उन्होंने कहा कि वह शिक्षा में जीडीपी का पांच से छह प्रतिशत व्यय करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.

राहुल गांधी ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्यसेवा में ‘नाटकीय असफलता’ का मुख्य कारण विकास को लेकर भाजपा एवं आरएसएस के सोचने के तरीके में अंतर है.


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