‘मंत्री’ नहीं ‘अधिकारी’ करें आचार संहिता के दौरान घोषणाएं: एस वाई कुरैशी


Ideal if an officer, not a minister, makes announcements: Ex-CEC

 

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद अगर कोई घोषणा बहुत आवश्यक हो तो उसे किसी ‘मंत्री’ को नहीं बल्कि ‘अधिकारी’ को सार्वजनिक करना चाहिए. इस तरह घटना से मिलने वाले राजनीतिक लाभ को निष्प्रभावी किया जा सकता है.

कुरैशी ने यह बात दि टेलीग्राफ द्वारा आयोजित एक चर्चा के दौरान कही. उनसे पूछा गया था कि अगर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एंटी-सैटेलाइट अभियान के राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान चुनाव आयुक्त होते तो उनका क्या रुख होता.

हालांकि उन्होंने इस घटना पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि आचार संहिता के दौरान कोई भी ऐसी घोषणा नहीं की जा सकती जो मतदाताओं को प्रभावित करे. हमारे पास कोई प्रस्ताव आता है तो हम यह देखते हैं कि क्या उसको रोका जा सकता है. अगर संभव होता है तो हम उसे रोक देते हैं.

कुरैशी ने आगे कहा, “मान लीजिये कोई घोषणा पूर्व-निर्धारित है तो उसे किसी मंत्री को नहीं बल्कि अधिकारी को सार्वजनिक करना चाहिए. अगर कोई बहुत महत्वपूर्ण घोषणा करनी होती है तो प्रधानमंत्री कार्यालय हमसे पूछता है.” बुधवार को की गई घोषणा के बारे कुरैशी ने कहा, “अतीत में इस तरह की घोषणा हमेशा डीआरडीओ द्वारा की गई हैं.”

मौजूदा उप- मुख्य चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की अनुमति आयोग से नहीं ली थी.

चुनाव आयोग ने इस संबोधन की जांच करने के लिए अधिकारियों की एक समिति गठित है जो आज अपनी रिपोर्ट जमा कर सकती है. सरकार का तर्क रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी घोषणा थी जो आचार संहिता के दायरे में नहीं आती. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने समोधन के एक दिन बाद ही मिशन शक्ति और पुलवामा हमले को अपनी सरकार की उपलब्धियां बताया था.


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