महाराष्ट्र: गठबंधन के बावजूद बीजेपी और शिवसेना में मतभेद बरकरार
आगामी चुनावों के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच सीट बंटवारे के समझौते पर मुहर लगने के बाद अब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर दावे को लेकर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के सुर अलग-अलग हैं. महाराष्ट्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है.
शिवसेना चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद की अपनी मांग को लेकर मुखर रही है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने आवास पर पार्टी के चुनिंदा कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्होंने इस चुनावी फार्मूला को खारिज कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में अधिकतम सीटें लाने वाली पार्टी को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा.
ठाकरे ने कहा कि उन्होंने दोनों दलों को बराबर संख्या में पद देने की मांग की है.
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘ दोनों पार्टियों ने पिछले 25 बरसों में इस फार्मूले का इस्तेमाल किया है. मैंने इसे खारिज कर दिया. मैंने यह मांग की कि दोनों पार्टियों को समान संख्या में पदों की हिस्सेदारी मिले.’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा इस पर राजी हो गई, इसलिए मैंने गठबंधन करने का फैसला किया.’’
वहीं, इसके उलट राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बीजेपी का यह रूख है कि ज्यादा संख्या में सीटें जीतने वाली पार्टी को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा. हम विधानसभा चुनाव में बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने शिवसेना के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में वोटों का एक हिस्सा सुरक्षित करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है.
लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए 18 फरवरी को दोनों पार्टियों के गठबंधन की घोषणा के मुताबिक महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटों में बीजेपी 25 सीटों पर, जबकि शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां सहयोगी दलों के साथ तालमेल कर बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
वर्ष 2014 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना ने अपने-अपने बूते लड़ा था. कुल 288 सीटों में बीजेपी ने 122 सीटें जीती थी जबकि शिवसेना को 63 सीटों पर जीत मिली थी.