महिलाओं को टिकट देने के मामले में कांग्रेस सबसे आगे


Congress launches campaign slogan Ab Hoga Nyay for Lok Sabha polls

 

आम चुनाव की बढ़ती सरगर्मी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात की है. चुनावी नजरिए से यह एक बड़ा दांव हो सकता है, लेकिन बीते चुनावों विश्लेषण बताता है कि राजनीतिक दल स्वयं महिला उम्मीदवारों को टिकट देने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं.

बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आगामी चुनाव के मद्देनजर 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया है. वहीं बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने 33 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का फैसला किया है.

वहीं साल 1996 से 2014 तक के लोकसभा चुनावों के आंकलन से पता चलता है कि सिर्फ कुल उम्मीदवारों में सिर्फ 10 फीसदी ही महिलाएं हैं. इस विश्लेषण से पता चलता है कि कांग्रेस ने अन्य दलों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा टिकट दिया है. महिलाओं को टिकट देने के मामले में बीएसपी का रिकॉर्ड सबसे खराब है.

यह विश्लेषण बताता है कि पांच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने पिछले छह चुनावों में 9,174 उम्मीदवार उतारे. इनमें महिलाओं की संख्या केवल 726 यानी 8 फीसदी थी.

इसके अलावा क्षेत्रीय दलों ने पिछले छह लोकसभा चुनावों में कुल 252 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया. वहीं गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में महिला उम्मीदवारों की कुल संख्या 649 और निर्दलीय महिला उम्मीदवारों की संख्या 1,109 थी.

बीएसपी की पूर्व सदस्य ऋतु सिंह, जो अब बीजेपी में हैं, ने कहा, ‘महिलाओं को 50 फीसदी टिकट मिलना चाहिए. बीएसपी में बहन जी ने भी कभी कोशिश नहीं की. मैंने इस बारे में उनसे कई बार बात की. महिलाओं को उस पार्टी में उतना महत्व नहीं मिला. शायद वो डर गई थीं.’

औसतन कांग्रेस ने 10 फीसदी, बीएसपी ने महज 5 फीसदी, बीजेपी और सीपीआई ने 8-8 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया.

चुनाववार विश्लेषण बताता है कि बीते दो चुनावों में कांग्रेस ने 11 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया.  पिछले लोकसभा चुनाव में यह संख्या 13 फीसदी थी.

इस विश्लेषण के अनुसार बीजेपी और बीएसपी ने कभी भी 10 फीसदी से ज्यादा टिकट महिलाओं को नहीं दिया है. सीपीएम ने भी दो लोकसभा चुनावों में 10 फीसदी से ज्यादा टिकट महिलाओं को दिए.

 


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